कोटा: कोटा शहर से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित दाढ़ देवी मंदिर, एक प्राचीन और ऐतिहासिक धार्मिक स्थल है। यह मंदिर न केवल अपनी खूबसूरती के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसे कोटा के पूर्व शाही परिवार की कुलदेवी का धाम होने का गौरव भी प्राप्त है। यहाँ की शांत और प्राकृतिक सुंदरता भक्तों को अपनी ओर खींचती है, खासकर नवरात्रि के पावन पर्व पर।
इतिहास और शाही परिवार की आस्था
दाढ़ देवी मंदिर का इतिहास सदियों पुराना है। स्थानीय मान्यताओं और अभिलेखों के अनुसार, यह मंदिर कोटा के पूर्व शाही परिवार की कुलदेवी को समर्पित है। सदियों से राजघराने की आस्था का केंद्र रहा यह धाम आज भी लाखों भक्तों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। मंदिर की प्राचीन वास्तुकला और कोटा के शासकों द्वारा कराए गए जीर्णोद्धार इसके समृद्ध इतिहास की गवाही देते हैं। चंबल नदी के किनारे स्थित होने के कारण यहाँ का वातावरण अत्यंत शांत और मनमोहक रहता है।
नवरात्रि पर उमड़ता है भक्तों का सैलाब
वैसे तो साल भर इस मंदिर में भक्तों का आना-जाना लगा रहता है, लेकिन नवरात्रि के नौ दिनों में यहां का नजारा बिल्कुल अलग होता है। इन दिनों दाढ़ देवी मंदिर में भक्तों का तांता लग जाता है। दूर-दराज से श्रद्धालु माता के दर्शन और आशीर्वाद पाने के लिए पैदल यात्रा करके भी पहुंचते हैं। पूरा मंदिर परिसर माता के जयकारों से गूंज उठता है और यहां एक विशाल मेले जैसा माहौल बन जाता है। रात-दिन यहाँ धार्मिक अनुष्ठान, भजन और आरती होती रहती है, जिससे वातावरण पूरी तरह से भक्तिमय हो जाता है।
चमत्कारी शक्ति और मनोकामना पूर्ति
भक्तों की अटूट आस्था है कि दाढ़ देवी हर मनोकामना को पूरा करती हैं। लोग अपनी परेशानियों और इच्छाओं को लेकर यहां आते हैं और खाली हाथ नहीं लौटते। विशेष रूप से नवरात्रि के दौरान, माता के दर्शन मात्र से ही भक्तों को अपार शांति और ऊर्जा मिलती है। यह मंदिर केवल एक पूजा स्थल नहीं है, बल्कि एक ऐसा धाम है जहां इतिहास, आस्था और प्रकृति का सुंदर संगम देखने को मिलता है। कोटा के निवासियों के लिए यह मंदिर उनके गौरव और धार्मिक पहचान का प्रतीक है।