Malpura Danga: सन 2000 में टोंक के मालपुरा में हुए सांप्रदायिक दंगों के एक मामले में आज विशेष अदालत ने सभी 13 आरोपियों को बरी कर दिया है। कोर्ट ने इस मामले की जांच कर रहे पुलिस अधिकारियों की जांच शैली पर ही सवाल खड़े कर दिए। कोर्ट ने कहा कि मामले की जांच कर रहे तीनों अधिकारियों में से किसी ने भी इस मामले की ठीक से जांच ही नहीं की। इसलिए सबूत के अभाव में इन 13 आरोपियों को बरी किया जा रहा है।
बता दें कि इसी दंगे के एक केस में पिछले साल 2024 को विशेष अदालत में 8 आरोपियों को उम्र कैद की सजा सुनाई थी। वहीं 5 लोगों को बरी कर दिया गया था क्योंकि उनके खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं मिल पाए थे।
दोषसिद्धि में रह गई ये कमियां
आरोपियों पर दोष सिद्ध करने में सबसे बड़ी कमी यह रह गई कि गवाहों ने जो बयान दिए वह ठोस नहीं थे। कई गवाहों ने यह कहा कि वारदात के वक्त आरोपियों के चेहरे नकाब से ढके हुए थे इसलिए वे पुख्ता यह नहीं कह सकते कि यही आरोपी दंगे में शामिल थे।
वहीं आरोपियों के वकील वीके बाली ने बताया कि उन्होंने कोर्ट में यह दलील दी है कि पुलिस जिन गवाहों को कोर्ट में गवाही के लिए लेकर आई वे तो घटनास्थल पर मौजूद ही नहीं थे क्योंकि उसे वक्त मालपुरा में धारा 144 लगी हुई थी। दूसरी तरफ पुलिस अभी तक उन हथियारों को बरामद नहीं कर पाई जिससे इस दंगे में हत्याएं की गई थीं। यही दो सबसे बड़ी वजह रहीं जो आरोपियों पर दोष सिद्ध नहीं कर पाईं और अदालत ने यह फैसला सुनाया।
क्या था मामला?
दरअसल टोंक के मालपुरा में सन 2000 में दो समुदायों के बीच में सांप्रदायिक दंगा भड़क गया था। जिसमें 6 लोगों के हत्या कर दी गई थी। एक पक्ष से 2 लोग हरिराम माली और कैलाश माली की हत्या कर दी गई थी। वहीं दूसरे पक्ष से चार लोगों की मौत हो गई थी।
इस पूरे दंगे में 22 लोग आरोपी बनाए गए थे। इस दंगे को लेकर कुल 4 मामले कोर्ट में चल रहे हैं। जिनमें से एक मामले में मंगलवार को कोर्ट ने फैसला सुनाया है।
7 आरोपी पहले ही हाईकोर्ट से हो चुके बरी
बता दें कि इन 22 आरोपियों में से 7 आरोपी 2016 में हाईकोर्ट से बरी हो चुके हैं, एक आरोपी की मौत हो चुकी है, वहीं एक आरोपी नाबालिक है। बाकी बचे 13 लोगों पर आज ये फैसला आया।
वहीं दूसरे मामलों में पिछले साल 2024 को 8 आरोपियों को उम्र कैद की सजा सुनाई गई थी। वहीं 5 लोगों को सबूत के अभाव में बरी कर दिया गया था।
बता दें कि मालपुरा दंगे में दो मामले अलग-अलग कैलाश माली और हरिराम माली की हत्याओं पर दर्ज हैं। 10 जुलाई सन 2000 को हरिराम माली की पत्नी धन्नो देवी ने मालपुरा थाने में अपने पति की हत्या की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। जिसमें उन्होंने कहा था कि वह अपने पति के साथ जब खेत पर जा रही थी तभी समुदाय विशेष के लोगों ने उनके पति पर धारदार हथियार से कई बार ताबड़तोड़ वार किए जिससे उनकी मौत हो गई। हरिराम की मौत के मामले में कोर्ट मोहम्मद जफर, साजिद अली, मोहम्मद हबीब, बिलाल अहमद, मोहम्मद इशाक, अब्दुल रज्जाक, इरशाद को आजीवन कारावास में पहले ही भेज चुका है।