Jaisalmer Longewala War Memorial: भारत-पाकिस्तान सीमा पर स्थित जैसलमेर सिर्फ अपनी सुनहरी रेत और भव्य किलों के लिए ही नहीं जाना जाता, बल्कि यहां की मिट्टी के कण-कण में भारतीय सेना के शौर्य और बलिदान की कहानियां भी बसी हैं। ऐसी ही एक अदम्य साहस की गाथा है ‘लोंगेवाला’ की, वो ऐतिहासिक धरती जहां 1971 के युद्ध में मुट्ठी भर भारतीय सैनिकों ने पाकिस्तान की पूरी टैंक रेजिमेंट को घुटनों पर ला दिया था। आज यहां स्थित लोंगेवाला वॉर मेमोरियल (Longewala War Memorial) हर भारतीय को गर्व से भर देने वाला एक तीर्थ-स्थल बन चुका है।
क्या है लोंगेवाला की वीर-गाथा?
यह बात है 4-5 दिसंबर 1971 की रात की। कड़ाके की ठंड में, थार रेगिस्तान के सन्नाटे को चीरती हुई पाकिस्तान की एक विशाल सेना, जिसमें 2000 से अधिक सैनिक और 40 से ज्यादा खतरनाक पैटन टैंक शामिल थे, लोंगेवाला पोस्ट पर कब्जा करने के इरादे से आगे बढ़ रही थी। उनका मकसद लोंगेवाला पर कब्जा कर रामगढ़ और फिर जैसलमेर तक पहुंचना था।
उस समय पोस्ट पर पंजाब रेजिमेंट की एक कंपनी के महज 120 जवान तैनात थे, जिनका नेतृत्व कर रहे थे मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी। संख्याबल और हथियारों में दुश्मन कहीं ज्यादा ताकतवर था, लेकिन भारतीय जवानों का जज्बा फौलादी था। मेजर चांदपुरी ने पीछे हटने के बजाय दुश्मन से लोहा लेने का फैसला किया। पूरी रात, इन 120 शूरवीरों ने अपनी सूझबूझ और बहादुरी से पाकिस्तानी सेना को रोके रखा।
जब सुबह के सूरज के साथ आए ‘रक्षक’
जैसे ही सुबह की पहली किरण फूटी, आसमान में भारतीय वायुसेना के ‘हंटर’ लड़ाकू विमान गरजने लगे। वायुसेना के पहुंचते ही युद्ध का पासा पलट गया। भारतीय पायलटों ने पाकिस्तानी टैंकों को एक-एक कर निशाना बनाना शुरू किया और कुछ ही घंटों में लोंगेवाला की धरती पाकिस्तानी टैंकों की कब्रगाह बन गई। दुश्मन अपनी जान बचाकर भागा और भारत ने एक ऐसी लड़ाई जीती जो सैन्य इतिहास में अकल्पनीय मानी जाती है।
‘बॉर्डर’ फिल्म ने दिलाई घर-घर में पहचान
इस ऐतिहासिक लड़ाई को 1997 में आई ब्लॉकबस्टर फिल्म ‘बॉर्डर’ ने घर-घर तक पहुंचाया। निर्देशक जे.पी. दत्ता की इस फिल्म ने लोंगेवाला की शौर्यगाथा को अमर कर दिया और हर भारतीय को मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी और उनके वीर जवानों की कुर्बानी और हिम्मत से परिचित कराया।
Longewala War Memorial: शौर्य का जीवंत अध्याय
आज उसी ऐतिहासिक स्थल पर भारतीय सेना ने एक भव्य वॉर मेमोरियल का निर्माण किया है। यह मेमोरियल पर्यटकों और देशभक्तों के लिए एक प्रमुख आकर्षण है। यहां आप देख सकते हैं:
- युद्ध में जब्त किए गए पाकिस्तानी टैंक और सैन्य वाहन।
- एक वॉर म्यूजियम, जिसमें सैनिकों द्वारा इस्तेमाल किए गए हथियार और वर्दी प्रदर्शित हैं।
- एक ऑडियो-विजुअल शो, जिसमें लोंगेवाला की लड़ाई का पूरा वृत्तांत दिखाया जाता है।
यह स्मारक सिर्फ एक पर्यटन स्थल नहीं, बल्कि भारतीय सेना के उस सिद्धांत का प्रतीक है कि ‘संख्या नहीं, बल्कि साहस मायने रखता है’। यह हमें याद दिलाता है कि किन मुश्किल हालातों में हमारे जवान देश की सीमाओं की रक्षा करते हैं।