अलवर: भारत के अलग-अलग कोनों में स्थित भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करने की इच्छा हर शिव भक्त के मन में होती है, लेकिन यह यात्रा हर किसी के लिए सुगम नहीं होती। पर राजस्थान के अलवर शहर में एक ऐसा अनूठा और ऐतिहासिक मंदिर है, जहां भक्त एक ही छत के नीचे सभी बारह ज्योतिर्लिंगों के दर्शन कर सकते हैं। पुराने शहर की रंग भरियों की गली में स्थित यह चंद्रेश्वर महादेव मंदिर लगभग 200 वर्षों से आस्था का केंद्र बना हुआ है और सावन के महीने में यहां भक्तों का तांता लगा रहता है।
क्या है मंदिर का अनोखा इतिहास?
मान्यता है कि लगभग 200 साल पुराने इस मंदिर में 12 ज्योतिर्लिंगों की स्थापना अलवर के पूर्व महाराजा विनयसिंह ने कराई थी। उन्होंने देश के विभिन्न हिस्सों की यात्रा कर सभी ज्योतिर्लिंगों के दर्शन किए और फिर अलवर के शिव भक्तों की सुविधा के लिए इस मंदिर का निर्माण कराया, ताकि जो लोग लंबी यात्रा करने में असमर्थ हों, वे भी यहां आकर सभी ज्योतिर्लिंगों का आशीर्वाद प्राप्त कर सकें।
अर्धनारीश्वर स्वरूप में भी हैं विराजमान
इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि यहां स्थापित 12 शिवलिंगों में से 5 शिवलिंग अर्धनारीश्वर स्वरूप में हैं। ये शिवलिंग दो अलग-अलग रंगों में दिखाई देते हैं, जिन्हें भक्त दूर से ही पहचान सकते हैं। यह विशेषता इस मंदिर को और भी अद्वितीय बनाती है। एक ही स्थान पर सोमनाथ से लेकर रामेश्वरम और केदारनाथ से लेकर महाकालेश्वर तक, सभी ज्योतिर्लिंगों की एक साथ पूजा-अर्चना करने का अवसर भक्तों के लिए एक बड़ा सौभाग्य होता है।
सावन में उमड़ती है आस्था की भीड़
सावन के पवित्र महीने में इस मंदिर का महत्व और भी बढ़ जाता है। सोमवार को यहां विशेष पूजा और अभिषेक का आयोजन किया जाता है, जिसमें शामिल होने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंचते हैं। जो भक्त देश के कोने-कोने में स्थित ज्योतिर्लिंगों की यात्रा नहीं कर पाते, वे अलवर के इस मंदिर में आकर अपनी श्रद्धासुमन अर्पित करते हैं और एक साथ बारह ज्योतिर्लिंगों का पुण्य प्राप्त करते हैं। यह मंदिर न केवल अलवर, बल्कि आसपास के पूरे क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है।