राजस्थान: देश की राजनीति से एक अत्यंत महत्वपूर्ण और चौंकाने वाली खबर सामने आ रही है। भारत के उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति, श्री जगदीप धनखड़ ने सोमवार, 21 जुलाई 2025 को अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपना त्यागपत्र राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपा, जिसे मंगलवार को स्वीकार कर लिया गया। 74 वर्षीय धनखड़ का यह अप्रत्याशित कदम संसद के मानसून सत्र के पहले दिन आया, जिससे सियासी गलियारों में हलचल तेज हो गई है।
जगदीप धनखड़ का सफर एक किसान के बेटे से लेकर देश के दूसरे सर्वोच्च संवैधानिक पद तक पहुंचना बेहद प्रेरणादायक रहा है। आइए जानते हैं उनके इस लंबे और उल्लेखनीय राजनीतिक जीवन के बारे में।
खेतों से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक का सफर
जगदीप धनखड़ का जन्म 18 मई 1951 को राजस्थान के झुंझुनूं जिले के एक छोटे से गांव किठाना में एक जाट किसान परिवार में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव के ही स्कूल में हुई। अपनी लगन और मेहनत के बल पर उन्होंने प्रतिष्ठित सैनिक स्कूल, चित्तौड़गढ़ में दाखिला लिया। इसके बाद उन्होंने राजस्थान विश्वविद्यालय से भौतिकी में स्नातक और फिर कानून की डिग्री हासिल की। एक मेधावी छात्र के रूप में, वे राजस्थान हाईकोर्ट और बाद में भारत के सुप्रीम कोर्ट के एक जाने-माने वकील बने।
राजनीति में प्रवेश और पहली बड़ी जीत
वकालत में एक सफल करियर के बाद, धनखड़ ने 1989 में राजनीति में कदम रखा। उन्होंने जनता दल के टिकट पर अपने गृह क्षेत्र झुंझुनूं से लोकसभा का चुनाव लड़ा और शानदार जीत दर्ज कर पहली बार संसद पहुंचे। 1990 में उन्हें चंद्रशेखर सरकार में संसदीय कार्य राज्य मंत्री के रूप में भी एक संक्षिप्त कार्यकाल के लिए जिम्मेदारी मिली।
राजस्थान की राजनीति में भूमिका
लोकसभा कार्यकाल के बाद, धनखड़ ने राज्य की राजनीति की ओर रुख किया। वह 1993 में अजमेर जिले के किशनगढ़ विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए और राजस्थान विधानसभा पहुंचे। इस दौरान उन्होंने प्रदेश के कई महत्वपूर्ण मुद्दों को सदन में उठाया।
राज्यपाल के रूप में चुनौतीपूर्ण कार्यकाल
एक लंबे अंतराल के बाद, 2019 में उन्हें पश्चिम बंगाल का राज्यपाल नियुक्त किया गया। उनका यह कार्यकाल काफी चुनौतीपूर्ण और सुर्खियों में रहा। राज्य की ममता बनर्जी सरकार के साथ विभिन्न मुद्दों पर उनके संवैधानिक टकराव अक्सर चर्चा का विषय बनते थे। हालांकि, अपने इस कार्यकाल के दौरान उन्होंने संवैधानिक मर्यादाओं और नियमों के एक बड़े पैरोकार के रूप में अपनी छवि स्थापित की।
उपराष्ट्रपति पद का शिखर
जुलाई 2022 में, एनडीए ने उन्हें उपराष्ट्रपति पद के लिए अपना उम्मीदवार घोषित किया। अगस्त 2022 में, उन्होंने भारी बहुमत से चुनाव जीतकर भारत के 14वें उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। उपराष्ट्रपति के तौर पर और राज्यसभा के सभापति के रूप में, उन्होंने सदन की कार्यवाही का कुशलतापूर्वक संचालन किया।
अप्रत्याशित इस्तीफा
अगस्त 2027 तक के अपने कार्यकाल के बीच में ही स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए उनका इस्तीफा देना भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है। उनके इस निर्णय ने उनके उत्तराधिकारी को लेकर चर्चाओं को जन्म दे दिया है। जगदीप धनखड़ का एक किसान परिवार से निकलकर देश के उपराष्ट्रपति पद तक पहुंचना, उनकी कड़ी मेहनत, दृढ़ संकल्प और असाधारण प्रतिभा की कहानी कहता है।