Mewar History: वीरों की धरा राजस्थान वीरता और शौर्य की इस पूरे देश को एक धरोहर है जिसमें महाराणा प्रताप की जन्मभूमि और कर्मभूमि मेवाड़ जैसे गौरवशाली हिस्से का एक महत्वपूर्ण योगदान रहा है। लेकिन अब इसी मेवाड़ को लेकर पूरे देश में एक नया विवाद खड़ा हो गया है। वो ये कि राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद् यानी एनसीईआरटी (Mewar History map in NCERT Book) की एक किताब में राजस्थान की मेवाड़ भूमि को मानचित्र में मराठा साम्राज्य का हिस्सा बता दिया गया है। इस पर मेवाड़ समेत कई राजघरानों और राजस्थान ने NCERT पर कई तरह के सवाल दाग दिए हैं।
इस विवाद में अब मेवाड़ के पूर्व राज परिवार के सदस्य, पूर्व महाराणा और नाथद्वारा विधायक विश्वराज सिंह मेवाड़ (Vishvraj Singh Mewar) ने एक बड़ा बयान दिया है। अपने बयान में उन्होंने NCERT पर सवाल खड़े किए हैं। साथ ही उन्होंने तंज करते हुए कहा है कि अब आखिर एनसीईआरटी को कौन पढ़ाए।
पहले जानिए पूरा मामला क्या है?
दरअसल NCERT की आठवीं कक्षा की सामाजिक विज्ञान की किताब में 1759 का एक मानचित्र दर्शाया गया है जिसमें राजस्थान के मेवाड़ समेत कई हिस्सों को मराठा साम्राज्य का हिस्सा बताया गया है। इसमें कहा गया है कि 1759 में यह क्षेत्र मराठा साम्राज्य के अधीन आता था। एनसीईआरटी की सामाजिक विज्ञान की किताब में छपे इस मानचित्र में जिस मराठा साम्राज्य को दर्शाया गया है उसमें वर्तमान में स्थित पेशावर से लेकर दक्षिण में तंजावुर, पश्चिम में गुजरात में स्थित सूरत और मुंबई और पूर्व में स्थित ओडिशा और बिहार तक का इलाका दर्शाया गया है। इसे लेकर देश भर में इसकी आलोचना की जा रही है।
मेवाड़ के राजघराने ने क्या कहा?
बीती मंगलवार रात मेवाड़ के पूर्व महाराणा और वर्तमान में नाथद्वारा विधायक विश्वराज सिंह मेवाड़ ने सोशल मीडिया (X) पर एक वीडियो जारी किया जिसमें उन्होंने एनसीईआरटी पर कई तरह के सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि एनसीईआरटी की पुस्तक में छपे इस मानचित्र में जिस राजस्थान और उसके हिस्से को मराठा साम्राज्य के अधीन बताया गया है ऐसा तो कभी हुआ ही नहीं था। यह मेवाड़ जैसे स्वाभिमानी राज्य के वीरता और शौर्य को मिटाने की एक साजिश है। उन्होंने कहा कि “मैं एनसीईआरटी और केंद्र सरकार से मांग करता हूं कि जल्द से जल्द इस मामले पर ध्यान दिया जाए जिससे इस मानचित्र को सुधारा जाए और जिन लोगों ने इस तरह की काम किया है उन पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए।”
विश्वराज सिंह ने कहा कि यह मानचित्र ऐतिहासिक रूप से तो गलत है ही बल्कि यह एक शर्मनाक बात भी है कि इस मानचित्र के जरिए राजस्थान और पूरे देश को यह बताया गया है कि हम मुगलों के अधीन थे, उसके बाद अंग्रेजों के और फिर मराठाओं के। एनसीईआरटी की इस हरकत को आड़े हाथ लेते हुए विश्वराज सिंह ने कहा कि “आखिर एनसीईआरटी की किताबों में ऐसे लेख और ऐसे मानचित्र कौन छाप रहा है? कौन ऐसे शिक्षाविद हैं जिन्हें खुद ही इतिहास के बारे में कोई जानकारी नहीं है? जब वे खुद ही कुछ नहीं जानते तो वह बच्चों को भारत का सही इतिहास कैसे पढ़ाएंगे।”
क्या है मेवाड़ का इतिहास?
556 ईसवी में मेवाड़ राज्य की स्थापना हुई थी। शुरुआती दौर में मेवाड़ की राजधानी उदयपुर बनी। इसके बाद चितौड़गढ़ इसकी राजधानी बना। 1568 ईस्वी में अकबर ने चित्तौड़ पर जीत हासिल की इसके बाद 1576 ईस्वी में राजस्थान के सपूत और वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप और अकबर के बीच हल्दीघाटी का युद्ध हुआ। इस युद्ध के बाद महाराणा प्रताप को जंगल में जीवन बिताना पड़ा। इस दौरान उन्होंने अपनी सैन्य शक्ति को बेहद मजबूत किया और फिर से अकबर की सेना के साथ भीषण युद्ध किया। राजस्थान का इतिहास कहता है कि अकबर के सारे आक्रमण विफल साबित हुए। महाराणा प्रताप के रहते वह मेवाड़ पर कभी कब्जा नहीं जमा सका।
इसके बाद सन 1615 ईस्वी में मेवाड़ और मुगलों के बीच एक संधि हुई। हालांकि इसके बाद या युद्धों के दौरान मेवाड़ या राजस्थान के किसी हिस्से पर मराठा साम्राज्य का आधिपत्य का जिक्र नहीं मिलता है। बता दें कि मेवाड़ पर 1500 सालों तक गुहिलोत और सिसोदिया राजवंशों ने शासन किया था।